Thursday, December 6, 2007

दायरा - कैफ़ी आज़मी साहब कि एक कविता

बावरी विन्धस्व की पन्द्रहवीं बरसी पर कैफ़ी आज़मी साहब कि एक कविता यहाँ पर लिख रहीं हूँ इस आशा के साथ के
अब तो बंद हो ये मंदिर- मस्जिद का जूनून
आम इन्सान यहाँ यहाँ चैन से रहने पाए
हर दिल बे-खौफ हो सपने देखे
हरेक घर में रोज ही धूप और चांदनी आये ।
दायरे
रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे
फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ
बारहा तोड़ चुका हूँ जिन को
इन्हीं दीवारों से टकराता हूँ
रोज़ बसते हैं कई शहर नये
रोज़ धरती में समा जाते हैं
ज़लज़लों में थी ज़रा सी गिरह
वो भी अब रोज़ ही आ जाते हैं

जिस्म से रूह तलक रेत ही रेत
न कहीं धूप न साया न सराब
कितने अरमाँ है किस सहरा में
कौन रखता है मज़ारों का हिसाब
नफ़्ज़ बुझती भी भड़कती भी है
दिल का मामूल है घबराना भी
रात अँधेरे ने अँधेरे से कहा
इक आदत है जिये जाना भी

क़ौस एक रंग की होती है तुलू'अ
एक ही चाल भी पैमाना भी
गोशे गोशे में खड़ी है मस्जिद
मुश्किल क्या हो गई मयख़ाने की
कोई कहता था समंदर हूँ मैं
और मेरी जेब में क़तरा भी नहीं
ख़ैरियत अपनी लिखा करता हूँ
अब तो तक़दीर में ख़तरा भी नहीं

अपने हाथों को पढ़ा करता हूँ
कभी क़ुरान कभी गीता की तरह
चंद रेखाओं में समाऊँ मैं
ज़िन्दगी क़ैद है सीता की तरह
राम कब लौटेंगे मालूम नहीं
काश रावन ही कोई आ जाता
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Thursday, November 22, 2007

नींद क्यों रात भर आती नहीं .......

आजकल की आपाधापी वाले युग में चैन कि नींद आना भी एक बड़ी समस्या हो गयी है। दिन भर काम का दवाब, समय कि कमी , एक दूसरे से आगे निकलने की होड़, चिंता और शारीरिक श्रम कि कमी, तनाव, बहुत सारे ऐसे कारण है जिसकी वजह से हम में से ज्यादातर लोग नींद न आने की वजह से परेशान रहते है अगर नींद आ भी जाती है तो ठीक से नहीं आती और अगर नींद ठीक से न आए तो पुरा दिन बर्बाद ही समझो। नींद न आने का दर्द वही समझ सकता है जो इस परेशानी को झेलता है । ग़ालिब ने भी क्या खूब कहा है .......


मौत का एक दिन मयस्सर है मगर

नींद क्यों रात भर आती नहीं ।


नींद न आने कि समस्या पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में अधिक पाई जाती है उसका एक मुख्य कारन है महिलाओं का पुरुषों के मुकाबले अभिक भावुक होना. महिलाये छोटी- छोटी बातों को दिल से लगा लेती है और फिर तनाव और अवसाद से घिर जाती है. ठीक से नींद न आने कि वजह से आप कि सेहत भी खराब हो सकती है. प्रत्येक स्त्री व पुरूष को कम से कम ७ से ८ घंटे की नींद आवश्यक है लेकिन अक्सर ऐसा नहीं हो पाता है। एक रिसर्च के अनुसार तनाव के चलते महिलाएं पुरुषों की तुलना में ९० मिनट कम सो पाती है जबकि वो बिस्टर पर ८ जानते ही बिताती है पर नींद सिर्फ ६ घंटे या उससे भी कम ले पाती है. जबकि पुरुषों के लिए नींद न आने के मुख्य कारणों में टी. वी. देखना , अल्कोहल , नेट सर्फिंग, बीमारी आदि पाए जाते है । तनाव कि वजह से नींद न आने का साफ असर हमारी दिनचर्या में दिखाई देता है और आगे चल कर इसका हमारी सेहत पर भी बहुत बुरा असर हो सकता है । तो सबसे अच्छा तो यही है कि हम तनाव को ही कम करने कि कोशिश करें ।

कुछ घरेलू उपाय करके हम नींद न आने की परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकते है ।


  • सोने के कमरे को यथा सम्भव साफ सुथरा होना चाहिए । अस्त-व्यस्त कमरे ने नकारात्मक उर्जा होती है इसी लिए सभी समान यथा स्थान होना चाहिए.

  • रात को सोते समय यदि सम्भव हो तो स्नान कर के साफ कपड़े पहन कर सोना चाहिए और यदि स्नान करना सम्भव न हो तो अच्छे से हाथ पैर धो कर सोना चाहिए। इससे शरीर हल्का हो कर नींद अच्छी आती है ।

  • रात को पैरों व तलवों पर तिल का तेल लगाकर सोने से नींद अच्छी आती है।


  • सोने से पहले एक गिलास दूध पीना भी अच्छी नींद लाने में सहायक होता है।


  • सोते समय कुछ पढ़ने या संगीत सुनने से भी नींद अच्छी आती है।

  • ज्यादा परेशानी होने पर सिर में तेल की मालिश करने पर भी आराम मिलता है।

  • रात के भोजन में बैगन के भरते में थोडा सा शहद मिल कर खाने से भी नींद न आने कि शिक़ायत दूर होती है ।

  • प्रतिदिन २०-३० ग्राम सेब का मुरब्बा खाने से भी नींद न आने कि शिक़ायत दूर होती है।

तो फिर आज से ही सारे तनावों और चिंताओं को अलविदा कह कर अच्छी नींद सोने का प्रयास करते है याद रखिये पर्याप्त नींद ही अच्छी सेहत का सबूत है।





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Saturday, November 17, 2007

सिंघाङे - एक उपयोगी फल

कई दिनों तक अनुपस्थित रहने के पश्चात् फिर से हाज़िर हूँ। कुछ पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारिओं के चलते आप से सम्पर्क नहीं हो पाया उसके लिए माफी चाहती हूँ।

कल बाज़ार गयी थी तो ढेर के ढेर सिंघाड़े दिखाई दिए तो ध्यान आया कि ये तो कितना उपयोगी फल है . यह एक जलीय फल है । यह देखने में छोटा और कठोर होता है इसके ज्यादा सख्त छिलके को पानी में उबाल कर और आग में भून कर निकला जाता है । यह रक्ताशोधक व शक्तिवर्धक फल है इसके कुछ औषधीय गुण है जो कई रोगों में लाभप्रद है ।

सूजन:- यदि शरीर में कहीं सूजन हो तो सिंघाड़े के छिलके को पत्थर पर घिसकर सूजन वाले स्थान पर लेप करें । इसके प्रयोग से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।

जलन
:
शरीर के किसी हिस्से में जलन होने पर इसकी बेल को पीस कर लेप करने से रहत मिलती है।

श्वेत प्रदर :- श्वेत प्रदर कि समस्या महिलाओं में आम समस्या है इससे निजात पाने के लिए सूखे सिंघाड़े के आटे का हलवा बना कर एक महीने तक सेवन करने से इस रोग से छुटकारा मिलता है।

बेचैनी :- यदि घबराहट व बेचैनी से परेशान है तो १० ग्राम सिंघाड़े का रस सुबह - शाम पीने से घबराहट और बेचैनी जेसी तकलीफों से आराम मिलता है।

गर्भवती स्त्रिओं के लिए : गर्भावस्था में रक्त कि कमी दूर करने के लिए यदि नियमित रुप से २ या ३ सिंघाड़े का सेवन करना लाभप्रद होता है । इससे रक्ताल्प्ता कि शिक़ायत दूर होती है और होने वाला शिशु स्वस्थ और सुन्दर व निरोगी होता है।


Monday, November 5, 2007

जरा ध्यान दें .............

अब तो दिवाली आई खडी है चारों ओर दिवाली कि तैयारियां जोर शोर से चल रही है हर तरफ उत्साह और उमंग का समां है। बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता है। नवरात्र के समाप्त होते ही दिवाली कि तैयारियां आपने पूरे शबाब पर आ जाती है। दिवाली तो त्यौहार ही है मिठाइयों और रोशनी का . दिवाली कि बातें हो और नए कपडों, मिठाइयों और पटाखों कि बातें न हो यह तो हो ही नही सकता पर इस सब चीजों के साथ-साथ सावधानी भी बहुत जरूरी है . अगर हम कुछ छोटी - छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो रौशनी का ये पर्व हमारे लिए बेहद खुशगवार और यादगार बन जाएगा ।
  • यह तो सच है कि खरीदारी का अपना ही सुख है शायद शॉपिंग से ज्यादा मज़ा और किसी चीज़ में नही . महिलाओं के लिए तो शॉपिंग आत्मसंतुष्टि का साधन है पर फिर भी सोच समझ कर और जरुरत के मुताबिक खर्च करना ही समझदारी है बाद में पछताने से तो बेहतर है कि खर्च पर नियंत्रण रखा जाए.
  • दीवाली के दिन का मेनू पहले से निर्धारित कर ले.
  • अपने मित्रों और परिवारजनों को दिए जाने वाले गिफ्ट्स की खरीदारी भी पहले से करना ज्यादा सुविधा जनक होगा क्योंकि बाद में दुकानों पर ज्यादा भीड़ मिलती है और मूल्य भी ज्यादा देना पड़ता है.
  • उपहारों में बहुत ज्यादा कीमती चीजों की जगह कुछ ऐसा दे जो खास हो और उनके प्रति आप के प्यार को प्रदर्शित करे.
  • बहुत ज्यादा तेल व मसालों वाले भोजन व मिठाइयों से बचें.
  • पटाखे हमेशा दूर से व खुले स्थान पर चलने चाहिए.
  • बच्चों को कभी भी अकेले में पटाखे नही चलने दें .
  • पटाखे चलने की जगह पर पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें और जले हुए पटाखे उस में डालते रहें जिस से किसी के जल जाने का डर ही न रहे .
  • चलाये जाने वाले पटाखों को आग से दूर रखें जिससे दुर्घटनावश सभी पाठकों में आग न लग जाए.
  • छोटे - मोटे जलने पर लगाने के लिए घर में बर्नोल आदि जरूर रखे .
  • ये जरूर ध्यान रखें की कपड़े बहुत ज्यादा ढीले - ढाले व इधर - उधर लटकते हुये न हों और बालो को भी ठीक से बंधा जाए.
  • अंत में एक बात और बहुत ज्यादा पटाखों को चलाने से बचना चाहिए क्यों की जहाँ एक और पटाखों में हजारों रुपये व्यर्थ में ही स्वहा हो जाते है . हर साल पटाखों की वजह से हुई दुर्घटनाओं में हजारों रुपये की संपत्ति नष्ट हो जाती है वहीं इनमें पाए जाने वाले केमिकल व गैस की वजह से ये प्रदुषण को बढ़ने की भी वजह बनते है.

इन छोटी-छोटी बातों से आप कि दिवाली एक यादगार अनुभव बन जाये और माँ लक्ष्मी हम सभी के जीवन में रोशनी और समृधि लेकर आयें।


Saturday, November 3, 2007

स्वागत है ......

मेरे इस ब्लोग में आप लोगों का स्वागत है। एक भारतीय नारी होने नाते बहुत सी ऐसी चीजें , ऐसी बातें है जिन्हें हम आपस में बांटना चाहते है । आपने इस ब्लोग के द्वारा कुछ घर परिवार की , कुछ रिश्तों- नातों की, कुछ काम की बातें । आशा है आप लोगों को पसंद आएगा।