कल बाज़ार गयी थी तो ढेर के ढेर सिंघाड़े दिखाई दिए तो ध्यान आया कि ये तो कितना उपयोगी फल है . यह एक जलीय फल है । यह देखने में छोटा और कठोर होता है इसके ज्यादा सख्त छिलके को पानी में उबाल कर और आग में भून कर निकला जाता है । यह रक्ताशोधक व शक्तिवर्धक फल है इसके कुछ औषधीय गुण है जो कई रोगों में लाभप्रद है ।
सूजन:- यदि शरीर में कहीं सूजन हो तो सिंघाड़े के छिलके को पत्थर पर घिसकर सूजन वाले स्थान पर लेप करें । इसके प्रयोग से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
जलन : शरीर के किसी हिस्से में जलन होने पर इसकी बेल को पीस कर लेप करने से रहत मिलती है।
श्वेत प्रदर :- श्वेत प्रदर कि समस्या महिलाओं में आम समस्या है इससे निजात पाने के लिए सूखे सिंघाड़े के आटे का हलवा बना कर एक महीने तक सेवन करने से इस रोग से छुटकारा मिलता है।
बेचैनी :- यदि घबराहट व बेचैनी से परेशान है तो १० ग्राम सिंघाड़े का रस सुबह - शाम पीने से घबराहट और बेचैनी जेसी तकलीफों से आराम मिलता है।
गर्भवती स्त्रिओं के लिए : गर्भावस्था में रक्त कि कमी दूर करने के लिए यदि नियमित रुप से २ या ३ सिंघाड़े का सेवन करना लाभप्रद होता है । इससे रक्ताल्प्ता कि शिक़ायत दूर होती है और होने वाला शिशु स्वस्थ और सुन्दर व निरोगी होता है।
4 comments:
c/सिंघाङे/सिंघाड़े
hana
धन्यवाद अलोक जी , गलती सुधरने के लिए . बात ये है मुझे हिन्दी लिखने में थोडी कठिनाई होती है . आप का बहुत-बहुत शुक्रिया
अनु जी
बहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने, आगे भी आपसे इसी तरह की जानकारियों की उम्मीद है।
अक अनुरोध करना चाहूंगा आपने चिट्ठा खोलते ही अपने आप बजने वाला संगीत लगा रखा है, वह कभी कभार असुविधा में डाल देता है आप अगर संभव हो तो अपने आप बजने वाले मोड से हटा कर ऐच्छिक कर देवें।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
Post a Comment